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हेमंत सोरेन

यह राज्य सरकार हर किसान परिवार को देगी 3500 रुपये का आर्थिक सहयोग

यह राज्य सरकार हर किसान परिवार को देगी 3500 रुपये का आर्थिक सहयोग

इस साल कई राज्यों में भीषण बरसात और उसके बाद पड़े सूखे ने किसानों को बुरी तरह से प्रभावित किया है। इस दौरान किसानों की लाखों एकड़ फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी हैं, जिसके कारण हर राज्य के किसान अपनी सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं। इसके लिए कई सरकारें अपने किसानों की सहायता करने के लिए मदद का ऐलान कर भी रहीं है। अभी कुछ दिनों पहले ही छठ पूजा के पहले बिहार सरकार ने अपने राज्य के किसानों को मदद के लिए सहायता का ऐलान किया था। इसके बाद अब बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड की सरकार ने भी अपने राज्य के किसानों की मदद करने का ऐलान कर दिया है।

हेमंत सरकार हर किसान परिवार को 3500 रुपये की करेगी आर्थिक सहायता

झारखंड में इस साल कम बरसात की वजह से किसानों को भारी नुकसान हुआ है, जिसकी वजह से झारखंड के कई जिलों में धान की रोपाई में भारी गिरावट देखी गई है। अगर बात धनबाद जिले की करें तो वहां इस साल मात्र 5 प्रतिशत खेती की भूमि पर ही धान की रोपाई की गई थी। अकेले धनबाद जिले में ही 45 हजार से ज्यादा किसान प्रभावित हुए हैं। किसानों की स्थिति को देखते हुए झारखंड की मौजूदा हेमंत सोरेन सरकार ने किसानों को सहायता राशि देने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने घोषणा की है कि सूखे से प्रभावित हर किसान परिवार को 3500 रुपये का आर्थिक सहयोग सरकार की तरफ से उपलब्ध कारवाई जाएगी। इसके लिए आदेश जारी कर दिये गए हैं, आदेश को अमल में लाते ही राज्य के प्रभावित किसानों को जल्द से जल्द सहायता राशि का वितरण प्रारंभ कर दिया जाएगा।


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इतनी कम हुई है राज्य में बरसात

अगर बरसात की कमी की बात करें तो इस साल राज्य में बेहद कम बरसात हुई है। सबसे ज्यादा प्रभावित धनबाद जिले में जून माह में 66.3%, जुलाई में 37.8%, अगस्त में 90.7%, सितंबर माह में 59.9% बारिश हुई है। इसी तरह से राज्य के अन्य जिले प्रभावित हुए हैं। कम बरसात की वजह से पानी की उपलब्धता बेहद कम रही है, जिसके कारण धान की फसल बुरी तरह से प्रभावित हुई है। इसके साथ ही अभी से मिट्टी में नमी खत्म होने लगी है, जिससे बागवानी फसलों पर बुरा असर पड़ रहा है। मिट्टी में नमी की कमी से सब्जी के उत्पादन में भी नकारात्मक असर पड़ रहा है।

इसके पहले बिहार की सरकार ने भी की है किसानों की आर्थिक मदद

झारखंड सरकार के ऐलान के पहले बिहार सरकार भी अपने किसानों की मदद का ऐलान कर चुकी है। छठ पूजा के ठीक पहले बिहार सरकार ने सूखा प्रभावित किसानों की मदद करने के लिए 500 करोड़ रुपये का बजट जारी किया है, जिसके अंतर्गत हर सूखा प्रभावित किसान को 3500 रुपये की आर्थिक सहायता बिहार सरकार की तरफ से दी जाएगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मामले में सभी जिला कलेकटरों को निर्देश दिये थे कि छठ पूजा के पहले सभी प्रभावित किसानों के खातों में आर्थिक सहायता पहुंचा दी जाए। मुख्यमंत्री के आदेश का पालन करते हुए सभी प्रभावित किसानों के खातों में प्रति परिवार 3500 रुपये की आर्थिक सहायता पहुंचा दी गई है।
किसानों को हेमंत सरकार का मरहम

किसानों को हेमंत सरकार का मरहम

झारखंड में बारिश उम्मीद से कम हुई, नतीजा यह हुआ कि खेत में लगी फसल चौपट हो गई। किसान बारिश की उम्मीदों में रह गए, बारिश हुई नहीं और किसान फिर एक साल पीछे चला गया। फौरी तौर पर बीते दिनों हेमंत सोरेन की सरकार ने प्रति किसान 3500 रुपये की सहायता राशि देने का ऐलान किया है।


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24 में से 22 जिले सूखा प्रभावित

बारिश के होने या न होने की पुख्ता सूचना आज भी इंसान नहीं दे पाता है। उसे आसमान की तरफ देखना ही पड़ता है, झारखंड जैसे राज्य में यही हो रहा है। सितंबर से अक्टूबर तक जितनी बारिश की उम्मीद थी। उतनी हुई नहीं, नतीजा यह हुआ कि जो फसल खेत में लगी थी, वह या तो मुरझा गईं या फिर कुपोषण का शिकार होकर रह गईं। झारखंड के 24 में से 6 से 7 जिले ऐसे थे, जहां बारिश ज्यादा हो गई। ज्यादा बारिश होने के नाते भी फसलें मार खा गईं। किसानों की इस तकलीफ को सरकार ने गंभीरता से देखा और सूखा घोषित करने के लिए एक टीम बनाई। जिसने वस्तुस्थिति का आंकलन कर अपनी रिपोर्ट दे दी है। सूखा घोषित करने के जो पैमाने हैं, उनके अनुसार 24 में से 22 जिले सूखा प्रभावित घोषित किये गए।


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प्रति किसान 3500 रुपये का मुआवजा

बीते दिनों मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कैबिनेट की मीटिंग की और उस मीटिंग में यह फैसला किया, कि सरकार किसानों को यूं ही परेशान नहीं होने देगी। सरकार ने तय किया कि हर किसान को 3500 रुपये दिये जाएंगे. इससे उनका दुख थोड़ा तो कम होगा। हाल के दिनों में झारखंड की सिंचाई परियोजनाओं को लेकर भी मुख्यमंत्री चिंतित दिखे। वह हर खेत को पानी पहुंचाना चाहते हैं, पर यह अकेले राज्य सरकार के बूते की बात नहीं। इसमें केंद्र को सहयोग करना ही पड़ेगा।

पोखरे बनाने के लिए अनुदान

सूत्रों के अनुसार, इस संबंध में कई बार केंद्रीय कृषि मंत्री से पत्राचार भी किया गया पर केंद्र से बहुत ज्यादा तवज्जो नहीं मिला। यह मान कर लोग चल रहे हैं कि किसानों के बारे में बात करना और किसान की योजनाओं को झारखंड की धरती पर उतारना दो अलग बातें हैं। शायद यही कारण था, कि जब केंद्र से झारखंड सरकार को मुकम्मल जवाब नहीं मिला तो झारखंड सरकार ने खुद ही कमर कस लिया। अब एक योजना का प्रारूप तैयार किया जा रहा है, इस योजना के तहत सरकार छोटे-छोटे पोखरों के लिए अनुदान की व्यवस्था करेगी। शर्त यह होगी कि इन पोखरों से सिर्फ सिंचाई और मछली पालन ही किया जाएगा।


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अभी यह योजना शुरूआती दौर में है, मान कर चलें कि दिसंबर के आखिरी तक यह तैयार हो जाएगी। अगर ऐसा हो गया तो, किसानों को थोड़ी राहत तो होगी ही, जो किसान बरसात के लिए आसमान की तरफ टकटकी लगाए देखता रहता है। वह सामान्य दिनों में होने वाली बारिश के जल को उस पोखरे में सहेज कर तो रख सकेगा। आने वाले दिनों में पंपिंग सेट की मदद से उस पोखरे के पानी से सिंचाई भी की जा सकती है, सरकार ने इस दिशा में कदम तो बढ़ा दिये हैं। देखते चलें, कब तक इस पर प्रभावी ढंग से अमल हो पाता है।